नोआखली दंगो के कारण : 6 वां कारण जानना बहुत ज़रूरी

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जब जब नोआखली दंगो का नाम आता है, तो आंखों में सामने एक दर्द भरी तस्वीर उभर आती है। आज आप इस लेख में नोआखली दंगो के कारण के बारे में पढ़ेंगे। आप नोआखली दंगे के ऐसे कारण पढ़ेंगे जो आपने पहले कभी नही सुना होगा।

बात 1946 की है जब भारत की आजादी का सूरज उगने ही वाला था। उसकी हल्की-हल्की किरण भारत भूमि पर पड़ने लगी थी।

बात बंगाल के एक जिले की है, जो की अब बांग्लादेश में है। उसका नाम था नोआखली। वहां पर बहुत ही ज्यादा मुस्लिम जनसँख्या रहती थी।

मोहहमद अली जिन्ना ने एलान किया की मुस्लिम लोगो के लिए भारत से एक अलग क्षेत्र दिया जाए। जिसका नाम पाकिस्तान हो। और उन्होंने ने कहा की ऐसा नहीं किया जाता है तो जो होगा उसके लिए सरकार खुद ज़िम्मेदार होगी।

और हुआ भी ऐसा ही नोआखली में मुस्लिम लोगो ने हिन्दू लोगो की हत्या करनी शुरू कर दी। उन्होंने हिन्दू औरतो और लड़कियों के साथ बलात्कार किये और फिर उन्हें मार दिया।

पूरा नोआखली शमशान में बदल गया। काफी हिन्दू लोग मारे गए और यही दंगा नोआखली दंगो के नाम से जाना जाता है।

यह दंगा 10 अक्टूबर 1946 से शुरू हुआ था और नवम्बर 1946 में खत्म हुआ था।
एक सर्वे के अनुसार इस दंगे में 5000 हिन्दू मारे गए थे और 10000 से 15000 हिन्दू जख्मी हुए थे।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर एक:-कैबिनेट मिशन का भारत में आना

ये बात 1946 की है। जब ब्रिटिश सरकार को लगने लगा था की अब हम भारत देश में राज नहीं कर पायेंगे तो उन्होंने भारत देश की सत्ता को भारत की राजनीतिक पार्टियों के हवाले करने का सोचा।

इसी विषय पर चर्चा करने के लिए ब्रिटेन के उस वक़्त के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन को भारत में भेजा।

उन्होंने उन तीन लोगो को भारत के उस वक़्त की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग से बात करने के लिए भेजा था।

उन तीनो लोगो ने दोनों ही पार्टियों से बात की और भारत के सत्ता की बागडोर उन लोगो के हाथ में सौपने को तैयार हो गयी।

साथ ही साथ ये कार्य भी शुरू हो गया की भारत की और भारत के सरकार की शुरू की योजनायें कैसी होंगी इन सभी योजनाओं को बनाकर 16 मई 1946 को प्रस्तावित किया गया।

नोआखली दंगो के कारण में से मुख्य कारण यही था 

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर दो:-मोहम्मद अली जिन्ना की अलग मुस्लिम देश बनाने की मांग

आखिर वो वक़्त आने वाला था। जब सैकड़ो सालो की आज़ादी की लड़ाई का फल मिलने वाला था। अंग्रेज भारत देश को छोड़ कर जाने वाले थे। लेकिन कहते हैं न! जीत के पहले ख़ुशी मानना सही नहीं होता है।

हुआ भी कुछ ऐसा ही, 16 जून 1946 को मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत की आज़ादी के साथ ही एक और बात को मानने का प्रस्ताव रखा। वो प्रस्ताव था की जब भारत आज़ाद होगा। यानी की जब सत्ता स्थान्तरित होगी तो भारत को दो भागो में बांटा जाए।

जिसमे एक भारत का हिस्सा हिन्दू अधिकता वाला हो और दूसरा मुस्लिम लोगो के लिए हो। जिसका नाम पाकिस्तान हो।

नोआखली दंगो का अगर कोई सबसे बड़ा कारण था। तो वो यही था। अगर पाकिस्तान बनाने की मांग न होती तो ये दंगा कभी नहीं होता। अगर सही नज़रिए से देखा जाए तो नोआखली दंगो के लिए अगर कोई इंसान सबसे ज्यादा जिम्मेदार था, तो वो मोहम्मद अली जिन्ना ही था।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर तीन:-मुस्लिम लीग का कैबिनेट मिशन का बहिष्कार करना

कहते हैं आग में घी डालने पर आग और तेज़ हो जाती है। लेकिन उसके लिए आग भी तो लगी रहनी चाहिए न। तो यही वो कारण था जिसने नोआखली दंगो की चिंगारी को फूंका था। यही कारण था जिसने डायरेक्ट एक्शन डे को जन्म दिया। जिसने इस आग में घी का काम किया था।

10 जुलाई 1946 को जवाहरलाल नेहरु ने मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस किया। और भारत देश को बताया की कांग्रेस ने सिर्फ संविधान सभा में भाग लेने की लिए बात को माना है।

साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा की कैबिनेट मिशन योजना को बदलने के लिए हम पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। हम चाहे जो परिवर्तन कर सकते हैं।

जब मुहम्मद अली जिन्ना को ये बात पता चली। वो डर गए। क्योंकि वो अच्छी तरह जानते थे की संविधान सभा में हिन्दू लोग ज्यादा होंगे और फिर वो संविधान में वही लिखेंगे जो वो चाहेंगे। यानी की मुस्लिम लोगो के अधिकारों का हनन करेंगे।

इस बात को ध्यान में रखते हुए जिन्ना ने कैबिनेट मिशन की बुराई करना शुरू कर दिया। और इसकी बुराई करने के लिए उन्होंने सहारा लिया डायरेक्ट एक्शन डे का। उन्होंने इसके सहारे से संविधान सभा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।

जुलाई 1946 में ही जिन्ना ने अपने घर पर एक प्रेस कांफ्रेंस रखी। और साफ़ तौर पर कह दिया की मुस्लिम लोगो के लिए एक अलग देश पाकिस्तान होना चाहिए। और उन्होंने संविधान सभा के बहिष्कार की घोषणा की। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के उस योजना का भी बहिष्कार करने की घोषणा की।

जिसमे लिखा हुआ था की भारत देश की सत्ता भारत देश के राजनीतिक पार्टी के हाथ में होगी। साथ ही साथ ये भी लिखा हुआ था की मुस्लिम लीग और कांग्रेस जुड़कर एक पार्टी बनाएगी।

अगले दिन ही जिन्ना ने एलान किया की 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे होगा। ये दिन पाकिस्तान बनाने के लिए आन्दोलन शुरू करने का दिन होगा।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर चार:-डायरेक्ट एक्शन डे

यही वो दिन था जिसने नोआखली में दंगो के बीज को बोया था। नोआखली दंगो का सबसे बड़ा कारण अगर कोई है तो यही है। अगर ये दिन न होता तो शायद ही कभी नोआखली दंगा हुआ होता।

16 अगस्त 1946 भारतीय इतिहास का वो दाग है जिससे कितना चाहे धुलने की कोशिश करो वो मिटने वाला नहीं है। ये वही दिन है जिस दिन जिन्ना के कहने पर आन्दोलन की शुरुआत होने वाली थी।

नोआखली एक ऐसा क्षेत्र था जहाँ मुस्लिम बहुत ज्यादा रहते थे। और उन्होंने इस आन्दोलन को हिंसात्मक तरीके से शुरू किया।

मुस्लिम लीग ने बंगाल के गवर्नर से कहा की 16 अगस्त को छुट्टी का दिन घोषित कर दिया जाए क्योंकि उस दिन दंगा होने की सम्भावना है। लेकिन वहां के गवर्नर ने उस बात को नहीं माना और हिन्दू लोगो से कहा की वो अपनी दिनचर्या को वैसा ही रखें जैसा वो पहले रखते थे।

सुबह के 10 बजे के पहले से ही पुलिस चौकी में फ़ोन आना शुरू हो गया की मुस्लिम लोग रैली लेकर निकल चुके हैं और वो रास्ते में लोगो को खासकर हिन्दुओ को मार रहे हैं।

जो भी दुकान खुली मिल रही है उसमे घुस कर तोड़ फोड़ कर रहे हैं। और धीरे धीरे ये खबर पूरे बंगाल से आना शुरू हो गयी। लेकिन ये घटना खासकर नोआखली में बहुत तेज़ी से हो रही थी काफी हिन्दुओ पर उन लोगो ने पत्थर बरसाए और जितना मार सके उनको मारा।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर पांच:-मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र

जब डायरेक्ट एक्शन डे 16 अगस्त को हुआ तो भारत के सभी क्षेत्रो में मुस्लिम लोगो ने हिन्दुओ के साथ हिंसा करना शुरू कर दिया। ऐसा नहीं था की ऐसा सिर्फ नोआखली में हुआ। बल्कि ये देश के हर कोने में हुआ। बिहार के भी कुछ क्षेत्रो में ऐसे दंगे हुए थे।

लेकिन कहते हैं न जहाँ हार होने लगे वहां से चुपचाप निकल लेना चाहिए। और इन लोगो ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने देश के हर हिस्से में दंगे का प्रयास किया। लेकिन जहाँ हिन्दू ज्यादा थे वहां हिन्दू मुस्लिम लोगो पर भारी पड़ने लगे और इन्हें मुह की खानी पड़ी।

इन्हें जब लगने लगा की उनकी दाल यहाँ नहीं गलने वाली तो वो चुपचाप अपने घरो में बैठ गए ।

जहाँ पर मुस्लिम लोगों की संख्या हिन्दुओ की संख्या से ज्यादा थी तो वहां उन लोगो की जीत होने लगी। वो अपने मन की करने लगे। वो जो चाहते करते और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था।

वो कहते हैं न की चूहा भी अपने घर में शेर होता है, तो वो भी उस जगह पर शेर थे जहाँ उनकी संख्या ज्यादा थी। नोआखली भी उन्ही इलाको में से एक था।

यहाँ मुस्लिम बहुत ही अधिक थे। इसलिए जब ये लोग हिंसा पर उतर आये तो हिन्दू लोग चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए। और आखिरकर हिन्दुओ को उसका हर्जाना भरना पड़ा। अगर उस क्षेत्र में मुस्लिमो की संख्या इतनी ज्यादा न होती तो शायद ये दंगा इतना ज्यादा नहीं होता।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर छः :-हिन्दुओ में एकता न होना

ऐसा तो ज़रूरी नहीं की जो संख्या में ज्यादा हो उनकी ही जीत हो? गीदड़ चाहे संख्या में ज्यादा हो लेकिन वो कभी शेर को नहीं हरा सकते। और दुनिया जानती है की एकता में शक्ति होती है।

अगर नोआखली में भी हिन्दुओ में एकता होती तो मुस्लिम समाज कभी भी इस बात कोशिश ही नहीं करता की वो दंगा करे। बिल्कुल जैसा बिहार के कुछ हिस्सों में हुआ था।

वहां भी मुस्लिम लोगो की संख्या ज्यादा थी और उन्होंने दंगा करने की कोशिश भी की। लेकिन वहाँ के हिन्दू समाज में एकता थी। जिसकी वजह से वहां उनकी एक न चली और वहां किसी तरह का कोई भी बड़ा दंगा जन्म नहीं ले पाया।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर सात:-प्रशासन का कमज़ोर होना और इन दंगो पर ध्यान न देना

1946 में बंगाल में काफी राजनितिक हलचल थी। वहां कोई भी ऐसा नेता नहीं था जो वहां के हालात को सही से समझ सके और उसको सही तरीके से संतुलित कर सके।

अब ये कहना मुश्किल है की सच में कोई अच्छा नेता नहीं था या कोई उस हालात को सही नहीं करना चाहता था।वहां के प्रशासन को पहले ही खबर हो चुकी थी।

इस दिन दंगा होने की आशंका है। लेकिन उसने इस बात को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया और लोगो को सांत्वना दी की ऐसा कुछ भी नहीं होगा। लोग उनकी बात का भरोसा करने लगे। जिसकी वजह से हज़ारो लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी।

जब दंगे शुरू हुए तो भी प्रशासन ने उसे रोकने का प्रयास नहीं किया। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है की अंग्रेज लोग भारत के लोगो के बीच फूट डालना चाहते थे। जिसके लिए वो चाहते थे की ये दंगा हो।

जिससे भारतीयों की बीच भेद उत्पन्न हो जाए और वो भारत देश पर आगे भी राज कर सकें।अगर प्रशासन चाहता तो इस दंगे को रोक सकता था। लेकिन उसके लिए थोड़ी भी कोशिश नहीं की।

नोआखली दंगो के कारण में से कारण नंबर आठ:-महात्मा गांधी का अहिंसावाद

भारत देश को आज़ाद कराने के लिए पूरा देश एक साथ हो गया था। ज्यादातर लोग गांधी जी के अनुयायी थे और वो हिंसा में विश्वास रखते थे।

इसलिए सभी लोगो का हाल वही हो गया था जैसे एक पिंजरे में बंद शेर का होता है। जैसे उसकी शक्ति पिंजरे में रहने से कम हो जाती है और वो किसी पर हमला नहीं कर पाता है।

वैसे ही उन सभी लोगो का भी हाल हो गया था। वो सभी अहिंसा का पालन करने लगे और उनमे इतनी शक्ति तक नहीं रही की अपना बचाव भी कर सके।

और जैसा की सारी दुनिया जानती है की जो कमज़ोर होता है उसको दबाया जाता है। हुआ भी वही जो लोग कमज़ोर थे उन्हें इस दंगे का हर्जाना भरना पड़ा और सब कुछ गवाना पड़ा।

Source- Wikipedia

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