इन्द्रियों का झगडा(Moral Stories in hindi for kids)

 

ये कहानी moral stories in hindi से जुडी हुई है और ये कहानी moral stories in hindi for kids है।

 
 
जैसा की हम जानते हैं की हमारे शरीर में बहुत तरह की इन्द्रियाँ होती हैं। और उन सब इन्द्रियों का अलग अलग काम होता है।
 
 अगर कोई एक इंद्री काम करना बंद कर दे तो हमे सामान्य जीवन जीने में तकलीफ होने लगती है। इसलिए कौनसी इंद्री हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है ये पता करना बहुत मुश्किल है। 
 
इसी तरह एक बार की बात है की सभी इन्द्रियों में झगडा हो गया। तो कौन सबसे महान इंद्री है ये पता चला। इसी की ये कहानी है।
 
Moral stories in hindi for kids
 
 
एक बार की बात है। शरीर की सभी इन्द्रियों के बीच झगडा हो गया। झगडा इस बात पर हुआ की सबसे बड़ी इंद्री कौनसी है? सभी इंद्री खुद को दूसरे से बड़ी बताने लगी। ये झगडा मुख्य रूप से मन, वाणी, नेत्र, कान और प्राण इन्द्रिय के बीच हुआ था।
 
वाणी इन्द्रिय ने कहा की सबसे बड़ी मै हूँ। क्योंकि अगर मै न रहूंगी तो इन्सान बोलेगा कैसे? और अगर वो बोल नहीं पायेगा तो उसके जीवन का कोई महत्व नहीं है।
 
कान इंद्री ने कहा की सबसे बड़ी मै हूँ। क्योंकि अगर मै न रहूँ तो इंसान सुन नहीं पायेगा और अगर वो सुन नहीं पायेगा तो उसके जीने का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि वो बहरा हो जाएगा।
 
नेत्र ने कहा की सबसे बड़ी मै हूँ। क्योंकि अगर मै न रहूँ तो इंसान अँधा हो जायेगा और उसको कुछ भी दिखाई नहीं देगा। उसकी स्थिति इतनी दयनीय हो जायेगी की वो चल फिर तक नहीं पायेगा। और उसकी बाकी की जिंदगी दूसरे पर आश्रित हो जाएगी।
 
मन इन्द्रिय ने कहा की सबसे महान तो मै हूँ। अगर मै न रहूँ तो इंसान में किसी तरह की कोई भी इच्छा नहीं होगी और न ही उसका कोई काम करने का मन करेगा। तो उसके जीवन का महत्व ही क्या रहेगा?
 
अंतिम में प्राण इन्द्रिय ने कहा की सबसे महान तो मै हूँ। अगर मै न रहूँ तो इंसान मर जाएगा। और उसके बाद उसकी कोई भी इंद्री काम नहीं कर पाएगी। इसलिए सबसे बड़ी मै हूँ। मेरे बिना तुम सब लोग किसी काम के नहीं हो।
 
जब झगडा बहुत ज्यादा बढ़ गया और सभी इन्द्रियों में सबसे बड़ा कौन है इसका फैसला नहीं हो पाया। तो सभी इन्द्रियों ने निर्णय लिया की वो इस बात का फैसला करने के लिए ब्रम्हाजी के पास जायेंगे।
 
थोड़ी देर बाद सभी इन्द्रियाँ भगवान ब्रम्हाजी के सामने थीं। उन्होंने ब्रम्हा जी को प्रणाम करके फिर सब समस्या कह सुनाई।
 
ब्रम्हाजी इस समस्या को सुनकर काफी चिंता में आ गए। काफी सोचने के बाद  ब्रम्हाजी ने एक उपाय बताया।
 
 उन्होंने कहा,”तुम सब में सबसे बड़ी इन्द्रिय वही है जिसके ना रहने पर इंसान को सबसे ज्यादा दिक्कत हो। इसलिए तुम लोग एक काम करो एक एक करके शरीर से एक साल के लिए दूर रहो। जिसके न रहने पर इंसान को सबसे ज्यादा दिक्कत हो या वो उस इंद्री के न रहने पर रह न पाए तो वही सबसे बड़ी इन्द्रिय है।
 
इन्द्रियों को ये बात सही लगी। उन्होंने इस बात को निर्णय लिया की वो सब एक एक करके दूर होंगी। सबसे पहले वाणी इंद्री ने कहा की मै दूर होउंगी।
 
वाणी इन्द्रिय शरीर छोड़ कर चली गयी। वाणी इन्द्रिय के जाने के बाद भी इंसान की जिंदगी वैसी ही चलती रही। बस वो इंसान बोल नहीं पा रहा था। बाकी उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। 
 
जब एक साल बाद वाणी इन्द्रिय वापस आई तो देखा की वो इंसान तो वैसा का वैसा है जैसा वो छोड़ कर गयी थी। उसे इस बात से पता चल गया की वो सबसे बड़ी नहीं है। और ये जानकार वो बहुत शर्मिंदा हुई।
 
इसी तरह मन इन्द्रिय छोड़ कर चली गयी। उसके चले जाने से इंसान की सोचने की ताक़त ख़त्म हो गयी। वो छोटे बच्चे की तरह व्यवहार करने लगा।
Moral stories in hindi for kids
 
 
 
 जब मन इन्द्रिय एक साल बाद लौटी तो इंसान के शरीर को वैसे का वैसा पा कर काफी शर्मिंदा हुई और उसका जो घमंड था की वो सबसे बड़ी है वो ख़त्म हो गया।
 
अब नेत्र की बारी थी। उसके जाने से इंसान अँधा हो गया। उसको कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। उसको काफी दिक्कत आने लगी। लेकिन वो किसी तरह अपनी जिंदगी जी रहा था। 
 
जब एक साल बाद नेत्र इन्द्रिय लौटी तो देखा की वो इन्सान अभी तक जिंदा है। जिससे उसे पता चल गया की सबसे महान नहीं है। और उसे अपने महत्व के बारे में पता चल गया।
 
अब बारी कान इन्द्रिय की थी। इसलिए कान इन्द्रिय एक साल के लिए छोड़ कर चली गयी। उसके चले जाने से भी इंसान की जिंदगी पर कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। बस वो कुछ सुन नही पा रहा था। लेकिन उसके बाकी के काम सब वैसे ही चल रहे थे। 
 
जब कान इन्द्रिय वापस लौटी तो देखा की इंसान तो बिलकुल ठीक है। जिससे उसे पता चल गया की वही सबसे बड़ी नहीं है।
 
अब आखिरी बारी प्राण इन्द्रिय की थी। अब वो शरीर छोड़ कर जाने लगी तो शरीर की बाकी इन्द्रिय भी काम करना बंद करने लगी। 
 
Moral stories in hindi for kids
 
 
जिससे सभी इन्द्रियों को परेशानी होने लगी और वो सब एक साथ प्राण इन्द्रिय से बोली की आप शरीर से बाहर मत जाओ। वरना हम काम नहीं कर पायेंगे। आप ही सबसे महान हो। हम आपको ही हम सबमे बड़ा मानते हैं।
 

शिक्षा-     कभी भी किसी को अपने काम पर घमंड नहीं करना चाहिए। न ही ये सोचना चाहिए की वही सबसे महान है। और न ही दिखावा करना चाहिए की उसके बिना कुछ भी नहीं हो सकता।

 

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