HINDI KAHANIYAAN : MORAL STORIES IN HINDI पुनर्जन्म (सुमेर की कहानियाँ) कहानी-14

पुनर्जन्म

आज सुमेर की HINDI KAHANIYA में पढ़ेंगे MORAL STORIES IN HINDI जो की FUNNY STORIES IN HINDI भी है।

                              राजा सूर्यभान पर जब पडोसी देश ने हमला किया था, तो राजा ने वो लड़ाई बड़े बहादुरी से जीत लिया था। उसके बाद उन्होंने उस जीत की ख़ुशी में बहुत ही भव्य आयोजन भी करवाया था। जिसमे दूर दूर से बहुत अच्छे संगीतकार भी आये हुए थे। राजा उनके संगीत सुनकर बहुत खुश हुए।

                              उन्हें वो संगीत इतने पसंद आये की वो और ज्यादा संगीत सुनने लगे। वो जितना ज्यादा संगीत सुनते उन्हें संगीत उतना ज्यादा पसंद आने लगा। धीरे धीरे वो अपना महत्वपूर्ण काम छोड़ कर संगीत सुनने लगे। उन्हें संगीत पसंद  आने लगा तो उन्होंने दूर दूर से संगीतकार बुलाना शुरू कर दिया।
http://no1hindikahaniya.online
                             वो दूर दूर से प्रसिद्ध संगीतकारों को बुलाकर संगीत सुनने लगे। वो संगीत में इतने ज्यादा व्यस्त रहने लगे की वो राज्य का काम भी भूल गए। धीरे धीरे उन्होंने दरबार में जाना भी छोड़ दिया।
                              जब उन्होंने दरबार में जाना छोड़ दिया तो दरबार के मंत्री अपनी मनमानी करने लगे। वो प्रजा को बहुत ज्यादा परेशान करने लगे। सेना मनमाने ढंग से प्रजा से कर लेने लगी। प्रजा पर सेना का अत्याचार बढ़ने लगा। राजा को ऐसा देखकर पडोसी देश भी हमला करने की सोचने लगे।
                              ये पूरी स्थिति सुमेर देख रहा था और उसे ये बात बार बार परेशान कर रही थी। वो राजा को सुधारने का रास्ता खोजने लगा। प्रजा भी अब राजा को पसंद नही करती थी क्योंकि राजा उनके दर्द नहीं सुनते थे और सेना उन पर अत्याचार  करती थी। जब सुमेर को कोई भी रास्ता नजर नहीं आया तो एक दिन सुमेर ने एक आदमी को अपनी पगड़ी और जूते देते हुए कहा,” इसे महाराज के पास ले जाओ और कहना की ये तुम्हे नदी के किनारे मिला है और सुमेर ने आत्महत्या कर ली है।”
                               उस आदमी ने ऐसा ही किया। राजा ने पूछा,” सुमेर को ऐसी क्या दिक्कत थी उसे आत्महत्या करनी पड़ी।” उस आदमी ने कहा,” महाराज सुमेर काफी दिन से बहुत परेशान था। वो कहता था कि वो राजाजी के दर्शन के लिए ही जिन्दा था। अब जब महाराज दरबार में ही नहीं आते तो उनके दर्शन भी नहीं होते तो अब जीने  का क्या मतलब ? ” राजा ये सुनकर बहुत ज्यादा दुखी हो गए।
                                 कुछ दिनों तक तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ की सुमेर अब इस दुनिया में नहीं है। राजा ने सुमेर की याद  में ही अपनी दिनचर्या बदल ली। वो सुबह संगीत सुनते और दरबार भी जाते। लोगो की बाते सुनते। प्रजा के दर्द सुनते और रात को वेष बदलकर राज्य में घूमने भी जाते। ताकि उन्हें सच्चाई का पता चल सके की राज्य में आखिर क्या चल रहा है।
                               जब वो वेष बदलकर जाने लगे तो उन्हें एहसास होने लगा की उनके संगीत के चक्कर में प्रजा ने कितना दर्द सहा है। उन्होंने उन सभी लोगो को राज्य से निकाल दिया जो उनके न रहने पर प्रजा को परेशान करते थे। अब राजा को सुमेर की मौत के कारण का पता चल गया था। उन्हें पता चल गया था की प्रजा के दर्द को देखकर मुझे बदलने के लिए ही सुमेर ने ऐसा किया है।

एक दिन जब राजा वेष बदलकर राज्य में घूम रहे थे तो उन्हें सुमेर के घर वालो की याद आई। वो सुमेर के घर की तरफ चल दिए। जब वो सुमेर के घर पहुंचे तो देखा की सुमेंर चारपाई पर आराम से सो रहा है।

                             राजा सुमेर के पास गए। राजा ने कहा ,”तुम तो मर गए  थे।” सुमेर ने तुरंत जवाब दिया,” हाँ महाराज पर ये मेरा दूसरा जन्म है।” इतना कहकर सुमेर ने राजा को पूरी बात कह सुनाई। राजा सुमेर को देखकर बहुत खुश हुए। उन्हें सुमेर को खोने का जो दुःख था अब वो ख़त्म हो गया था। राजा ने सुमेर को गले से लगा लिया और कहा तुमने मेंरी आँखें खोल दी। राजा ने सुमेर को कल से दरबार में आने को कहा। सुमेर ने बात मान ली।
                              अगले दिन सुमेर को दरबार में देख उनके दुश्मनों की जान निकल गयी तो वहीँ राजा ख़ुशी से पागल हुए जा रहे थे।

READ MORE – महत्वपूर्ण कौन? (सुमेर की कहानियाँ) कहानी-13

Leave a Comment

Exit mobile version