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राजगुरु कैलाश से अलग तो हो गए थे, लेकिन उनके मन मे अभी भी सुमेर के लिए गुस्सा था। वो हमेशा मौका खोजा करते थे कि कैसे सुमेर से बदला लिया जाए। जब अंत मे उन्हें कोई मौका नही मिला तो उन्होंने सोचा कि अब सुमेर को जान से ही मारना पड़ेगा।
उन्होंने महाराज से कुछ दिनों की छुट्टी मांगी। और कहा कि महाराज अब मेरी उम्र हो रही है सोच रहा हूँ कुछ दिनों के लिए हिमालय जाकर घूम आऊं। मैं जल्दी ही आ जाऊंगा। महाराज ने आज्ञा दे दी और राजगुरु चले गए एक जादूगर के पास। वहां जाकर उन्होंने ढेर सारे जादू सीखे। जिससे सबको अच्चम्भित कर सकें। जब उन्हें लगा कि अब वो सुमेर को मज़ा चखाने के लिए तैयार हैं। तो वो भेष बदल कर राजा सूर्यभान के दरबार मे वापस आये।
उनके इस रूप को कोई नही पहचान पाया। राजा ने पूछा तुम कौन हो? तो राजगुरु ने कहा मैं जादूगर हूँ और मैं बहुत अच्छे अच्छे जादू जानता हूँ जिसे आप ज़रूर पसंद करेंगे। राजा ने वो जादू देखने के लिए हां कह दिया। तो राजगुरु बोले लेकिन मेरी दो शर्त हैं पहली की इसमें खतरा है तो किसी की जान भी जा सकती है और दूसरा की आपके सभी मंत्री उस वक़्त यहीं होने चाहिए खासकर मंत्री सुमेर।
राजा ने वो बात मान ली। अगले दिन राजगुरु अपने जादू का सामान लेकर आये और जादू दिखाना शुरू किया उनका जादू देख लोग दांतो तले उंगली दबा लिए। अंत मे उन्होंने कहा कि महाराज मैं कुछ कलाकारियाँ भी जनता हूँ जो मैं आपके सामने दिखाना चाहता हूं। मैं शेर की तरह बहुत अच्छा व्यवहार करना भी जानता हूँ। राजा ने आज्ञा दे दी तो शेर की खाल पहन वो इधर उधर कूदने लगे। लोग उनको देख अच्चम्भित रह गए। वो बिल्कुल असली शेर लग रहे थे। काफी कूदने के बाद वो सुमेर के पास पहुंचे और सुमेर पर हमला कर दिया।
सुमेर उसकी चाल पहले से जानते थे इसलिए अंदर लोहे का वस्त्र पहना था जिससे वो बच गए। यह देख की सुमेर पर हमला हुआ राजा चिंतित हो गए। राजा सुमेर के पास गए और उसका हाल पूछा। सुमेर ने बताया कि उसे पहले ही पता था कि उस पर हमला होगा क्योंकि जादूगर ने मुझे मुख्य रूप से बुलाया था। राजा जादूगर पर बहुत गुस्सा हुए लेकिन उन्होंने वादा किया था। सुमेर ने कहा महाराज आप चिंता न करें मैं सब संभाल लूंगा।
सुमेर जादूगर से बोले कि राजाजी को तुम्हारा शेर बहुत पसंद आया वो कल सती औरत का नाटक देखना चाहते हैं।अब राजगुरु फंस गए लेकिन क्या करते राजा का आदेश था ।
अगले दिन जादूगर औरत के रूप में आया कोई भी देख कर ये नही कह सकता था कि ये आदमी है। फिर सती के लिए चिता बनी उस पर राजगुरु बैठे और आग लगा दी गयी। राजगुरु काफी ज्यादा जल गए। तुरंत वैद्य को बुलाया गया और उनका इलाज हुआ। जिसमें ये भी पता चला कि ये राजगुरु ही हैं।राजगुरु ने माफी मांगी और कहा कि अब मैं तुमसे कभी दुश्मनी नही लूंगा तुम सच मे बहुत बुद्धिमान हो।
शिक्षा- बुद्धिमान इंसान से कभी झगड़ा न करें।
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