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HINDI KAHANIYA : MORAL STORIES IN HINDI ढोंगी महात्मा (मंत्री सुमेर की कहानियां) कहानी-7

आज मैं सुनाने जा रहा हूँ HINDI KAHANIYA से जुड़ी   KAHANI जो कि MORAL STORIES IN HINDI के उपसमूह से है। ये KAHANI राजा सूर्यभान और मंत्री सुमेर की है।

              एक बार की बात है। राजा सूर्यभान के राज्य में एक महात्मा विदेश से आया। वो लोगो को भभूत के नाम पर धतूरा देता था। जिसे खाकर लोग बेहोश हो जाते थे और वो उन्हें लूट लेता था। कई लोग तो ऐसे थे जिसको उसने लूटा था और वो उसकी वजह से पागल हो गए थे।

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                 ऐसे ही एक सेठ था, जो कि सुमेर का बहुत अच्छा दोस्त था लेकिन उसे महात्मा ने लूट लिया था और वो पागल हो गया था। जब ये बात सुमेर को पता चली। तो वो उस महात्मा के पास पहुंचा और उसको लेकर वहां ले गया जहां उसका दोस्त पागलो की तरह घूम रहा था। सुमेर ने महात्मा का हाथ पकड़ा और जोर से अपने दोस्त के सिर पर दे मारा। सेठ को थोड़ा भी वक़्त न लगा ये पहचानने में की यही वो है जिसने उसे लूटा था। सेठ ने उस महात्मा को पीटना शुरू कर दिया और तब तक पीटता रहा जब तक वो ढोंगी महात्मा मर नही गया।
 
               वैसे तो ये कोई छोटी बात नही थी और न ही सुमेर के दुश्मन कम थे। इसलिए ये बात राजा तक पहुंचने में थोड़ी भी देर न लगी कि सुमेर ने एक महात्मा को मरवा दिया। वो भी एक पागल के हाथों। राजा को ये बात नही पता थी कि वो महात्मा ढोंगी था। राजा ने जैसे ही ये बात सुनी तुरंत सुमेर को हाथी के पैर के नीचे दबा कर मारने का आदेश दे दिया। ये सुनकर सुमेर के दुश्मन बहुत खुश हुए।
                      सैनिक सुमेर को पकड़कर एक बड़े से मैदान में ले जाकर गर्दन तक ज़मीन में गाड कर हाथी लेने चले गए। इधर सुमेर अपने बचने का उपाय सोचने लगा। अचानक उधर से एक कुबड़ा धोबी गुजरा जो की कपड़े धोकर घर लौट रहा था। उसने सुमेर को इस तरह जमीन में गड़ा देखा तो पूछा कि तुम ऐसे क्यों हो?

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                  सुमेर ने कहा कि मैं कुबड़ा था और अपने कूबड़ से बहुत परेशान था 10 सालो से। तो एक महात्मा ने कहा कि 1 दिन के लिए गर्दन तक एक गड्ढे में बिना किसी से बात किये चुप चाप खड़े रहो तुम्हारा कूबड़ ठीक हो जाएगा। मेरा 1 दिन पूरा हो गया है। जरा मुझे निकल कर देखो की मेरा कूबड़ ठीक हुआ या नही।
                   धोबी ने सुमेर को बाहर निकाला तो देखा कि उसका तो कूबड़ बिल्कुल ठीक हो गया है। धोबी ने कहा कि भाई ऐसा करो कि तुम मुझे इस गड्ढे में गाड दो। मैं इस कूबड़ से बहुत परेशान हूँ। सुमेर ने उसे गाड दिया और कहा कि कुछ भी हो जाये बोलना मत। वरना तुम्हारा कूबड़ दोगुना हो जाएगा। धोबी ने उसे सभी धुले कपड़े देते हुए कहा कि ये मेरी पत्नी को दे देना और बताना मत की मेरा कूबड़ कल तक ठीक हो जाएगा। मैं उसे अचम्भित करना चाहता हूं।
                       सुमेर सभी कपड़े लेकर चला गया और इधर राजा के सैनिक उस पर हाथी चढ़ा कर चले गए। राजा सूर्यदेव का गुस्सा अब शांत हो चुका था और अब उन्हें सुमेर की याद आ रही थी और उन्हें ये भी पता चल चुका था कि वो महात्मा ढोंगी था। अगले दिन दरबार मे सुमेर को देख कर राजा के खुशी का ठिकाना नही रहा। उन्होंने सुमेर को गले से लगा लिया और पूछा कि वो कैसे बच गया? तो सुमेर ने पूरी कहानी कह सुनाई जिसे सुन राजा ने कहा कि तुम मेरे सबसे कीमती हीरे हो।

शिक्षा- बुद्धि के बल से मौत को भी मात दी जा सकती है।

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