Categories
emotional love story in hindi heart touching love stories in hindi Hindi Kahaniya love stories in hindi love stories in hindi romantic most romantic love stories in hindi romantic stories in hindi

Heart Touching Love Story In Hindi : बगल वाली लड़की Emotional Love Story In Hindi

ये कहानी love story in hindi के heart touching love story in hindi  से जुड़ी हुई है।

बाहर होती बारिश मेरे दिल में सिहरन पैदा कर रही थी। शायद मुझे पता भी नहीं की ये बारिश ही थी जो मुझे ठंडी लगा रही थी, या वो बात जो अभी आधे घंटे पहले मेरे परिवार वाले और अंशिका के परिवार वालो के बीच हुई थी।

 बगल वाली लड़की

ये कहानी love story in hindi के heart touching love story in hindi  से जुड़ी हुई है।

बाहर होती बारिश मेरे दिल में सिहरन पैदा कर रही थी। शायद मुझे पता भी नहीं की ये बारिश ही थी जो मुझे ठंडी लगा रही थी, या वो बात जो अभी आधे घंटे पहले मेरे परिवार वाले और अंशिका के परिवार वालो के बीच हुई थी।

तो ठीक है, अगले महीने की 29 तारीख को अच्छा दिन है शादी के लिए। उसी दिन विशाल और अंशिका की शादी करा देते हैं।

heart touching love story in hindi

कहते हैं, माता पिता बच्चे की बात बिना कहे जान लेते हैं लेकिन क्या मेरी बात नहीं जान रहे थे ?  अरे अगर नहीं जानते तो मुझसे पूछ लेते या फिर उन्होंने मुझसे पूछना ज़रूरी नहीं समझा।

जानता हूँ। उनकी नज़र में अब अच्छा नहीं हूँ, लेकिन क्या गलती मेरी थी ? क्या इतनी जिंदगी जीने के बाद भी वो नहीं जान पाए की प्यार किया नहीं जाता हो जाता है। लेकिन अब मै क्या कहता और किससे कहता ?

कोई तो नहीं था अब मेरे साथ, जिससे अपने दिल की बात कह पाता। जो दिल के पास थी, जिससे दिल की हर बात कहता था, वो तो अब जा चुकी थी न।

“विशाल सब जा चुके हैं, और अब शाम भी होने को है खाना खा लो।” माँ ने आकर कहा। मैंने ठीक है में सिर हिलाया।

मै खिड़की से बाहर देखने लगा। बारिश और तेज़ हो गयी थी। हवा बिल्कुल बंद हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था मानो बारिश ने उसे डांट दिया है, और इस वजह से वो चुप चाप बैठ गया है, बिल्कुल मेरी तरह ।

जैसे मै चुप बैठ गया था जब माँ और पापा ने डांटा था। जब मैंने पहली बार शिवानी का नाम लिया था। जब मैंने बताया था की हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं।

उन्होंने तो मेरी पूरी बात सुनने तक से इनकार कर दिया था। वो बिल्कुल नहीं चाहते थे की मै लव मैरिज करूँ। क्या वजह थी, न कभी पूछने की हिम्मत हुई न उन्होंने कभी बताया।

“अंशिका का कॉल आया है तुमसे बात करना चाहती है।” छोटी बहन चिंकी ने बुलाया तो ख्यालो के आसमान से नीचे उतरते हुए मै फ़ोन की तरफ बढ़ा।

चिंकी मुझे फ़ोन देकर दूसरे रूम में चली गयी। वो जानती थी की कोई बात होगी जो अकेले में करनी होगी।

मेरे हेल्लो बोलते ही उधर से आवाज आई, कैसे हैं आप ? ये सवाल जैसे मेरे दिल को कांटे चुभो रहा था। पता नहीं क्यों ये बात मुझे एहसास दिला रही थी की मै और शिवानी अब दूर हो चुके हैं।

वो भी इतने जैसे सूरज और चाँद, जो होते तो आसमान में ही हैं लेकिन सच में बहुत दूर।  मैंने जवाब दिया हाँ ठीक हूँ। आप कैसी हैं ?

मै भी ठीक हूँ। वो घर पर सभी लोग थे तो बात नहीं कर पायी। मै आपसे अकेले में बात करना चाहती हूँ। क्या कल हम मिल सकते हैं ?  मैंने कहा ठीक है।


बस इतना कहकर फ़ोन रख दिया। लेकिन अब भी अंशिका की बातें मन में गूँज रही थी, जैसे पहाड़ो के बीच से किसी ने बहुत तेज़ी से मुझे बुलाया हो।

मै अपने रूम में आ गया था, मुझे पता ही नहीं चल रहा था की मेरे आस पास क्या हो रहा है। ऐसा लग रहा था मानो मै कोई पुतला हूँ और इस दुनिया को मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं।

जब ख्यालो की लहरें तालाब की तरह शांत मन को छेड़ देती हैं तो वो समुद्र बन जाता है। जिसको कहीं भी सुकून नहीं मिलता। कुछ ऐसा ही हाल मेरा था।

मेरे शांत मन को शिवानी के ख्यालो ने छेड़ दिया था। उसका चेहरा बार बार नजरो के सामने आ रहा था और चाह कर भी मै उसे भूल नहीं पा रहा था।

भारी मन को लिए मै कोने में पड़ी कुर्सी पर बैठ गया, और बाहर तेज़ी से होती बारिश को देख रहा था। मुझे याद आ रहा था की कैसे किसी वक़्त यही बारिश मन को कितना सुकून देती थी। पर आज यही बारिश मेरे मन में आग लगा रही थी।

ऐसा लग रहा है मानो आसमान से पानी की बूंदे नही आग की चिंगारियां गिर रहीं हों, और वो सब कुछ छोड़ कर सीधे मेरे दिल पर वार कर रही हों।

धीरे धीरे मै उसके ख्यालो में खोता चला गया, जो इस दुनिया की भीड़ में कहीं गुम सी हो गयी थी। वो थी तो कहीं आस पास ही, लेकिन भीड़ की वजह से दिखाई नहीं दे रही थी।

वो दिवाली का दिन था। मै और मेरे दोस्त पटाखे लेने गए हुए थे। अचानक से किसी ने बगल से जोर का धक्का मारा।

मन तो कहा की उसे ढेर सारी बातें सूना डालूं। लेकिन जब पलटकर देखा तो जैसे जुबान पर ताला लग गया। I am sorry मैंने ध्यान नहीं दिया थोड़ी जल्दी में हूँ। इतना कहकर वो आगे बढ़ गयी।

पर मेरा दिल वहीँ रुक गया। उसी गुलाबी साडी वाली लड़की पर, जिससे मै भिड गया था। उसकी वो भूरी आँखें वो होंठ के नीचे काला तिल जैसे उसने दिल को कहीं बाँध लिया हो।

मै उस तिनके की तरह था जो तेज़ पानी के साथ न बहकर नीचे तली में बैठ जाता है। मै भी वैसे  ही बिल्कुल शांत हो गया था। और ये दुनिया तेज़ पानी की तरह बह रही थी।


इस बात को 15 दिन बीत गए थे। लेकिन वो बात भूल ही नहीं रही थी। जैसे चन्दन की महक, उसे जितना खत्म करने की कोशिश करो वो उतनी ज्यादा बढती जाती है।

वैसे ही मै इस बात को जितना ज्यादा भूलना चाहता था, वो उतना ही ज्यादा याद आता था। कहते हैं न,की जो किस्मत में होता है वो होकर रहता है। इसी तरह शायद हमारा मिलना भी लिखा था।

एक दिन जब कॉलेज से घर आया तो देखा की मेरे घर के बगल का वो घर जो हमेशा सूना रहता था उसमे कोई आ गया था। मुझे इससे क्या मतलब।  ये सोचते हुए मै अपने रूम में चला गया।

अगले दिन जब कॉलेज पंहुचा तो क्लास में फर्स्ट बेंच पर बैठी वही लड़की जिससे दिवाली के दिन मुलाकात हुई थी। एक पल को तो समझ ही नहीं आया की कैसे रियेक्ट करूँ।

बस मै अपने बेंच पर जाकर बैठ गया। मन तो बहुत खुश था जैसे हरी घास पर ओस की बूंदों के गिर जाने से वो खुश हो जाता है। मै वैसे ही खुश था।

लेकिन मेरा हाल भी वैसा ही था, जैसे आइसक्रीम वाले को देखकर बच्चे खुश तो हो जाते हैं लेकिन उनके पास आइसक्रीम खरीदने के पैसे नहीं होते। वो मेरे क्लास में तो थी पर मै उससे बात कैसे करता ?

शाम को घर आया तो देखा की घर के बगल में जो लोग आये हैं, उनमे वो भी है। ऐसा लग रहा था की उस आइसक्रीम के लिए बच्चे को पडोसी वाले अंकल ने पैसे दे दिए हो आइसक्रीम के लिए।

मुझे तो अब बस बहाना खोजना था उससे बात करने का। लेकिन कहते हैं न जब किसी की ज़रुरत होती है तो वो नहीं आता। उसी तरह बहाना भी मेरे दिमाग से कहीं दूर रजाई ओढ़ कर सो गया था।


सुबह उठा तो आवाज़ सुनी “अरे मेरा बेटा भी तो उसी  कॉलेज में  पढता है। इसमें क्या हुआ  की तुम नयी हो मेरे बेटे के साथ कॉलेज चली जाना।”

” ok आंटी।” पहली बार उसकी आवाज़ सुनी। मेरी माँ उससे बात कर रही थी। मै जल्दी से अपने कमरे से निकला और वहां जा पहुंचा जहाँ वो लोग बात कर रहे थे।

मुझे देखते ही लोग हंसने लगे। जब मैंने खुद को शीशे में देखा तो पता चला की मेरे बाल ऐसे खड़े थे जैसे किसी ने पेटिंग करके ब्रश को बिना धोये रख दिया हो, और आँखें तो ऐसी सूजी हुई थी की मै भारत का कम चीन का ज्यादा लग रहा था।


“अरे वाह बेटा आज तो बिना कहे कॉलेज के लिए तैयार हो गया वो भी बिल्कुल समय पर, वरना रोज़ तो लात मारकर तैयार होने के लिए कहना पड़ता था।”

वो इन सब बातों को सामने बैठे सुन रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे किस्मत ने मुझे लात मारकर एक बोरे में भरकर कूड़ेदान में डाल दिया हो।

जितनी इज्ज़त उसके सामने बनाना चाहता था, उतनी ही बेज्ज़ती होती जा रही थी। इम्प्रैशन बनाने के लिए आज परफ्यूम भी लगाया था, और तो और महंगी वाली क्रीम भी लगाया था जो किसी शादी में जाने से पहले लगाता था।

जिससे मै बन्दर कम इंसान ज्यादा लगूं। लेकिन माँ ने तो इज्ज़त तो जानवर से भी कम बना दी थी।

फिर भी मैंने अपना बैग उठाया और घर से बाहर आ गया और उससे भी चलने के लिए कहा ताकि जो बची खुची इज्ज़त है वो भी न चली जाए।


हम रास्ते में थे और क्या बात की जाए समझ नहीं आ रहा था। अचानक edison के बल्ब की तरह मेरे दिमाग की बत्ती जली। और मैंने सवाल करना शुरू किया। आपका नाम क्या है ? उसने शिवानी बताया।

तो आप इतना लेट कैसे हो गयीं यहाँ आने में ? पापा का ट्रान्सफर अभी हुआ तो इसलिए अभी आई।

पापा पास के थाने में दरोगा हैं। बस ये बात सुनी ही थी की मै सोचने लगा था की कैसे थाने में मेरी पिटाई हो रही है। लोग मुझे गैस सिलिंडर समझ कर इधर से उधर लात मार मार कर पीट रहे हैं।

 

heart touching love story in hindi

सारे सपने बेकार हो गए। और तो और परफ्यूम और क्रीम लगाना भी। फिर मै पूरे रास्ते चुप रहा। वही बताती रही की वो पहले कहाँ कहाँ गयी और उसका पहले का कॉलेज कैसा था।

लेकिन मुझे तो कुछ सुनाई भी  नही दे रहा था। शायद दिल के अन्दर DJ चल रहा था, जिसकी वजह से उसकी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी।


अब ये रोज़ का हो गया। वो मेरे साथ ही कॉलेज जाने लगी और वापस भी साथ आने लगी। शाम को भी वो मेरे साथ पढाई करने आ जाती थी।

लेकिन वो सिलिंडर वाली पिटाई के आगे प्यार का नाम आता ही नहीं था। धीरे धीरे हम पास आ रहे थे लेकिन सिलिंडर की वजह से दूरी थी।

एक दिन सुबह जब कॉलेज की छुट्टी थी। वो सुबह ही आई और मुझे जगाते हुए बोली उठो मेरे पापा तुमसे मिलना चाहते हैं।

मुझे तो लगा की सिलिंडर आज ही बनूँगा। लेकिन मैंने गलती भी तो कुछ नहीं की थी। पर पुलिस वाले सुनते कम और पीटते ज्यादा हैं। किसी तरह मै उसके घर गया तो उसके पापा हॉल में बैठे मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।

जैसे भूखा शेर शिकार का इंतज़ार कर रहा हो। मेरे पहुँचते ही उन्होंने कहा शिवानी यहाँ नयी है और मेरे पास टाइम नहीं रहता आज छुट्टी भी है तो उसका मन कहीं घूमने का है तो उसे घुमा लाओ।

अगर खुश होने पर अवार्ड मिलता तो पक्का आज मुझे भारत रत्न मिला होता, मै इतना खुश था।

एक घंटे बाद हम राजीव पार्क में थे। जो आस पास का सबसे अच्छा पार्क था। घूमते घूमते शिवानी ने पूछा तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो ?

मै क्या जवाब देता ? सच बोलता तो सिलिंडर बनता, झूठ क्या बोलूं ये समझ नहीं आ रहा था। आखिरकार दिल ने सच बोल दिया। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मै तुमसे प्यार करता हूँ।

वो काफी देर चुप थी फिर उसने कहना शुरू किया। पिछले 2 महीने से तुम्हारे साथ हूँ। ज्यादा तो तुम्हे नहीं जानती, पर हाँ जहाँ तक तुम्हे जानती हूँ, वहां तक तुम भी मुझे बुरे नहीं लगे।

शायद मै भी तुमसे प्यार करती हूँ क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है।


heart touching love story in hindi

 

हमारी लव स्टोरी चल चुकी थी। हम एक दुसरे को बहुत ज्यादा वक़्त देने लगे थे। पर कहते हैं जो लिखा होता है उसको मिटाया नहीं जा सकता। शायद हमारा भी दूर होना लिखा था।

कॉलेज ख़त्म होने वाले थे और अब हम शायद दूर होने वाले थे। शिवानी ने कहा “मै अपने गाँव वापस जाने से पहले पापा से हमारे बारे में बात कर लुंगी क्योकि इसके बाद मै पढाई के लिए दिल्ली जा  रही हूँ।

यहाँ वापस नहीं आउंगी।”  मैंने भी अपनी फैमिली से बात करना सही समझा। मुझे लगा था की वो इस बात के लिए मना नहीं करेंगे। लेकिन उन्होंने तो प्यार का नाम सुनते ही आगे कोई बात सुनने से इनकार कर दिया।

उन्होंने साफ कह दिया  की तुम्हारी शादी वहीँ होगी जहाँ हम चाहेंगे।

मै शिवानी को क्या जवाब देता ? मुझे नहीं पता था! इसलिए मुझे यही सही लगा की मै आज रात ही कोलकाता चला जाऊं। जहाँ मुझे 2 दिन बाद जाना था।

मैंने रात में ही सामान पैक किया और सुबह की गाडी से कोलकाता निकल गया। मुझे नहीं पता की उसके बाद घर पर क्या हुआ था।

मै घर पर कॉल भी बहुत कम करता था और उसके बारे में बात करू इतनी हिम्मत नहीं थी। जब 3 साल बाद पढाई पूरी करके घर आया तो बगल का घर पहले की तरह खाली हो चुका था।

वो लोग अब यहाँ नहीं रहते थे। कुछ दिन में पास वालो से पता चला की उसके घर वाले शिवानी की शादी कहीं और करने वाले थे, तो उसी लिए गाँव चले गए थे फिर कभी नहीं लौटे।

हाँ उन्होंने तुमसे शादी के लिए तुम्हारे घर बात की थी लेकिन तुम्हारे घर वाले तैयार नहीं हुए थे।


heart touching love story in hindi

 

अगले दिन मै अंशिका से मिलने कॉफ़ी शॉप पंहुचा तो वो बाहर ही खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी। मेरे पहुँचने पर हम दोनों साथ अन्दर गए।

अन्दर जाते ही जैसे मेरी पहली नज़र पड़ी। अतीत के सारे पन्ने तेज़ी से खुलते चले गए क्योंकि सामने बैठी थी अंशिका की सहेली और मेरा पहला और आखिरी प्यार शिवानी।

ये मेरी बेस्ट फ्रेंड है, मेरी शादी है तो यहाँ आई है तो उसे यहाँ साथ ले आई।

वो सामने थी जिससे मेरी शादी होने वाली थी और वो बगल में, जिसके साथ शादी के वादे निभाने का वादा था।

शिवानी के सामने कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं थे और न ही उसने कुछ कहा। वो ऐसे बैठी थी जैसे मुझे जानती तक न हो। पर उसकी आँखों में सवाल था। जिसका जवाब मेरे पास था तो लेकिन मै शायद कभी दे नहीं पाता।

उसकी आँखें देख कर साफ़ पता चल रहा था की वो पूछ रही है। उस रात तुम क्यों चले गए थे। तुमने वादा किया था की घर वालो को साथ मनाएंगे।

क्या जवाब देता ? जवाब तो उसको पता था की मेरी फैमिली वालो ने मेरी बात तक सुनने से इनकार कर दिया था। उसे ये बात कैसे बताता। तीन कोल्ड कॉफ़ी। अंशिका की बात के साथ मै ख्यालो के सफ़र से उतरा।

आपको कुछ बात करनी थी आपने कॉल पर कहा था। हाँ कोई ख़ास बात नहीं थी बस ऐसे मिलने का मन था।

मै तुमसे शादी नहीं कर सकता काफी देर के सन्नाटे को खत्म करते हुए मैंने कहा। ऐसा लग रहा था मानो काफी दिनों से दिल में बसाये बारिश को बादल ने अचानक छोड़ दिया हो, और उसे अब सुकून का एहसास हो रहा हो।

अंशिका ने सोचा भी नहीं था की ये बात होगी। मैंने कहना शुरू किया अंशिका मै तुम्हे धोखा नहीं देना चाहता। मै किसी और से प्यार करता हूँ और नहीं चाहता की तुमसे शादी करके मै तुम्हारी लाइफ भी ख़राब करूँ।

शायद वो बात को समझ गयी थी और उससे भी ज्यादा उसके बगल में बैठी शिवानी।


heart touching love story in hindi

 

अंशिका ने दिल को मज़बूत करते हुए कहा ठीक है मै घर पर ये बात बता दूंगी। मै कॉफ़ी शॉप के बाहर आ गया था।

अंशिका तो मेरे पीछे नहीं आई लेकिन शिवानी खुद को रोक नहीं पायी। विशाल! काफी दिनों बाद ये नाम उससे सुना जिसकी आवाज़ पूरी जिंदगी सुनना चाहता था।

लेकिन वो तो कहीं गायब हो गयी थी जैसे दिन में घास से ओस गायब हो जाती है। हमारे रास्ते बदल चुके हैं विशाल। मेरे पापा ने तुम्हारे घर बात की थी लेकिन तुम्हारे घर वाले नहीं माने।

पापा ने मेरी शादी दूसरी जगह करनी चाही। लेकिन मेरा दिल नहीं माना तो उन्होंने शादी कैंसिल कर दी। अब फिर उसी रास्ते पर क्यों जाना चाहते हो , जो 5 साल पहले ही खत्म हो चुका है ?

अगले दिन हम अंशिका के घर थे। शादी तोड़ने के लिए नहीं, शादी की रस्म को आगे बढाने के लिए।

कभी कभी हमसे भी मिलने आईयेगा जीजू! अंशिका ने कहा।

बिल्कुल मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

इतना ही था इस कहानी का सफ़र।


READ MORE-
1) दूसरी मुलाकात

2) सफलता पाने के लिए 3 काम जो करने ही होंगे

3) पढ़ाई का जुनून

4)  राज्य का महामूर्ख कौन?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.