18 सबसे बड़े भारतीय इतिहास के झूठ : 16 वां झूठ कोई नहीं जानता

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भारतीय इतिहास जो हमे बचपन से पढ़ाया जाता है। उसमें कई बातें झूठ हैं और कई बातें छुपाई गयी हैं। आज इस लेख में आप भारतीय इतिहास के झूठ से अवगत होंगे। ये झूठ हैं इनका प्रमाण भी है। जिसे पढ़कर आप खुद सोच सकते हैं कि क्या सच है और क्या झूठ।

भारतीय इतिहास में झूठ किसने लिखा?

अंग्रेजो के शासन काल में जर्मनी और ब्रिटेन के कुछ लेखको के नाम आते हैं। जिन्होंने भारतीय इतिहास में झूठ लिखे। वे थें – मैक्समूलर रूडाल्फ़, रोथ अल्बर्ट, वेबर और ब्रिटेन के थे विलियम जोन्स तथा मैकाले।

सबसे पहले भारत में मुग़ल लोग आये और भारत देश उनका गुलाम हो गया। जब वो लोग राजा थे तो उन्होंने इतिहास को अपने हिसाब से लिखवाया। और ऐसा इतिहास लिखवाया जो सिर्फ उनकी बड़ाई करता था।और बाकी के पहले राजा लोगो को उनसे कमज़ोर बताता था।

साथ ही साथ उन्होंने इतिहास को इतना गलत करवा दिया कि ऐसा लगने लगा की भारत देश का विकास इन्होने ही किया है। इसके पहले भारत देश के लोग बहुत गरीब थे। और इन लोगो ने ही भारत को अमीर बनाया है।

इसके बाद आये अंग्रेज। इन्होने भी भारत के इतिहास को उतना बदला जितना वो बदल सकते थे। उन्होंने यहाँ तक लिखवाया की भारत के लोग पहले बहुत अशिक्षित थे। और इन लोगो ने ही ज्ञान को इंडिया में लाया है।

जब भारत देश में अंग्रेज लोगो का शासन काल था तो जर्मन और अंग्रेज इतिहासकारों और लेखको में होड़ मच गयी। भारत के इतिहास को लिखने की। जब दोनों लोगो ने भारत का इतिहास लिखना शुरू किया तो उतना झूठ लिखा जितना उनका मन किया।

भारतीय इतिहास के झूठ लिखने में सिर्फ इन्ही लोगो का हाथ नहीं था। (भारतीय इतिहास में झूठ क्यों लिखे गए?) इसमे कुछ लालच भी था।

धन का लालच किसको नहीं होता? बस फिर क्या था? अंग्रेजो और राजाओं ने लेखको को पैसे दे दिए की वो झूठ झूठ उनकी बड़ाई लिखे। बस फिर क्या था? उन्होंने छोटी सी बात को भी बढ़ा चढ़ा कर लिख दिया।

कोई चाहे जितना महान हो। लेकिन अगर वो किसी के अधीन हो जाता है। तो वो अपना महत्व खो देता है। परतंत्रता जीवो के स्वाभाव को और उसके पुराने अस्तित्व को खराब कर देता है। अगर एक शेर को पिंजरे में रखा जाये तो वो धीरे धीरे शिकार करना भूल जाता है।


भारत के इतिहास के साथ भी ऐसा ही हुआ। वैसे तो भारत का पुराना इतिहास बहुत ही महान रहा है। लेकिन एक हज़ार साल की गुलामी ने भारत के लोगो को उसका अस्तित्व भूलने पर मजबूर कर दिया।

और आखिरकार वो धीरे धीरे अपनी महानता को भूलते चले गए। और साथ ही साथ ये भी भूल गए की उनके पूर्वज कैसे थे।

आपने वो बात तो सुनी ही होगी। जिसकी लाठी उसकी भैंस। जब भारत देश गुलाम था तो जो लोग राजा थे उन्होंने वैसा किया जैसा वो चाहते थे। उन्होंने उन सारी बातो को गलत कह दिया जो भारत देश के पहले के गौरव का बखान करते थे। जो बताते थे की भारत देश कितना महान था।

इन सब बातों को गलत साबित करके उन्होंने ऐसा इतिहास लिखवाया, जो उनको ही सबसे महान बताता हो। और बाकी के लोगो को उनका गुलाम या उनसे कमज़ोर बताता हो।

साथ ही साथ वो राजा जिस धर्म संप्रदाय से जुड़े थे उसको सबसे महान बताने में लगे रहे। उन्होंने इतिहास में अपने धर्म को सबसे महान लिखने को कहा।

भारतीय इतिहास में क्या क्या झूठ लिखे गए? (भारतीय इतिहास के झूठ)

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 1 (श्रीराम और श्रीकृष्ण थे ही नहीं)


जब अंग्रेजो ने भारत देश पर अपना राज स्थापित करने का सोचा, तो उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत थी भारत की एकता। और उस एकता का कारण था उनका धर्म और उनके पुराण। साथ ही साथ उनके धर्म में लिखी पुरानी बातें, उनकी एकता को बल देती थीं।


अंग्रेज ये अच्छी तरह जानते थे की इस देश की एकता को तोडना है, तो इनके पुराणों को गलत साबित कर दो।उन्होंने रामायण महाभारत को सिर्फ एक सोच बता दिया। और कहा की कभी भगवान राम और कृष्ण नहीं थे।

जब आज़ादी के बाद कांग्रेस की सरकार आई तो उसने भी इसी काम में कदम बढाया। लेकिन वो कभी सफल नहीं हुई। उसने ये तक कहा की रामसेतु पुल काल्पनिक है और उसको तोड़ दिया जाए। अब बात करते हैं कुछ ऐसे प्रमाणों की जिससे साफ़ हो जाएगा की श्रीराम और कृष्ण थे।

1 रामायण


रामायण कितना पुराना है इस बात का पता वन पर्व में पता चलता है। जब कहा जाता है की राजन पुरातन काल के इतिहास में जो घटित हुआ है अब वो सुनो।


यहाँ दो शब्द इतिहास और पुरातन रामायण के प्राचीनता को दिखाता है।
रामायण सच है इसको NASA ने 1966 में और भारत ने 1992 में साबित कर दिया।

जब उनके द्वारा छोड़े गए सैटेलाइट ने रामसेतु के फोटो को भेजा और बताया की ये कोई बड़ी रचना है। जो की अब समुद्र में डूब गयी है।


रामायण कितना पुराना है इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है। सुन्दरकाण्ड में लिखा हुआ है की जब हनुमान जी सीता जी की खोज में जाते हैं तो वहां पर उन्होंने रावण के महल के पास में 3 और 4 दन्त वाले हाथी देखे थे। श्री पी एन ओक के अनुसार मॉडर्न साइंटिस्ट्स का कहना है की ऐसे हाथी पृथ्वी पर थे तो लेकिन लगभग 10 लाख साल पहले।

इस बात के साथ ही ये बात भी साफ हो गयी की रामायण इससे पहले का है और सच भी है।
साथ ही साथ ये भी बात साबित हो गयी की भगवान राम थे।

2 महाभारत और श्रीकृष्ण

महाभारत वेदव्यास द्वारा रचित है। ये रचना महाभारत के तुरंत बाद लिखी गयी। इस ग्रन्थ को सबसे पहले वैषम्पायन ने राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय को सुनाया था। ये रचना लगभग 5000 साल पुरानी है।


वैसे तो ये रचना या ये कहें की ये लड़ाई परिवार में हुई थी। लेकिन इसमें भारत देश के साथ साथ बाहर के लोगो ने भी हिस्सा लिया। ये इतनी बड़ी लड़ाई होने की बावजूद भी सिर्फ श्रीकृष्ण की आस पास घूमती दिखाई देती है।


इसके प्रमाण मिलना तब शुरू हुए जब समुद्र में तेल खोजते समय उन्हें कुछ पुरानी वस्तुएं मिली। जो की 5000 साल पुरानी थीं। बाद में खोज से पता चला की यही वो जगह है जहाँ पर भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका थी।

उस खोज में मिली वस्तुएं थीं मोहरे, जार, मिटटी के बर्तन, झंडा। इस बात के साथ यह बात भी सिद्ध हो गयी की महाभारत 5144 – 45 वर्ष पूर्व में हुआ था। इसी बात के साथ साथ यह भी सिद्ध हो गया की श्रीकृष्ण थे।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 2 (महाभारत का युद्ध हुआ ही नहीं था)

जब अंग्रेजो ने भारत पर अपना कब्ज़ा किया। तो उनको पता चला की वो यहाँ के साहित्य में तब तक कोई परिवर्तन नहीं कर सकते। जब तक महाभारत और रामायण का नाम है। क्योंकि वो भारत के सच्चे इतिहास को बताते थे।

इसलिए सबसे पहले उन्होंने रामायण और महाभारत को गलत साबित करना शुरू कर दिया। लेकिन कहते हैं न! सच को जितना दबाया जाता है वो उतना ही मज़बूत होता जाता है।

उसी तरह से जब इस बात को गलत साबित किया गया। तो बहुत से ऐसे सबूत मिलने लगे जिससे ये बात पता चलने लगी की रामायण और महाभारत सत्य हैं।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 3 ( राजा विक्रमादित्य कभी थे ही नहीं )


विक्रम संवत के प्रवर्तक विक्रमादित्य को कौन नहीं जानता?


अगर आज की बात करें तो शायद ही कोई हो, जो राजा विक्रमादित्य के बारे में न जानता हो। लेकिन अगर बात करें आज के 300 साल पहले की, तो ये बाते इतनी प्रसिद्ध नहीं थी।

और उस वक़्त के लूटेरो ने इस बात का फायदा उठाने की कोशिश की। और सोचा की इनके नाम को इतिहास से ही गायब कर दिया जाए। क्योंकि उनके जैसा राजा फिर कभी हुआ नहीं जो की लूटेरो को बर्दाश्त नहीं हुआ।


लोगो ने काफी कोशिश की। लेकिन भविष्य और स्कन्द पुराण में राजा विक्रमादित्य के बारे में बहुत अच्छी तरह से बताया गया है। इसी के साथ साथ ही कल्हड़ की राजतरंगिनी में भी राजा विक्रमादित्य का उल्लेख बहुत अच्छे से किया गया है।

साथ ही साथ ये भी बताया गया है की विक्रमादित्य जी ने कश्मीर पर राज किया था।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 4 (सरस्वती नदी कभी थी ही नहीं)


रामायण, महाभारत, पुराणों आदि में सरस्वती नदी को एक शक्तिशाली देवी के रूप में माना गया है। साथ ही साथ इन्हें भारत की जीवनदायनी कहा गया है। ऋग्वेद में सरस्वती नदी को सबसे शक्तिशाली बताया गया है। और उसकी पूजा की जाती थी।

साथ ही साथ सरस्वती नदी के साथ जुड़े भारत के सुख के बारे में बताया गया है।


जब आधुनिक काल शुरू हुआ तो सरस्वती नदी का अंत हो चुका था। इसलिए उसके न होने की वजह से आधुनिक काल के विद्वानों ने ये कहना शुरू कर दिया की ऐसी कोई नदी थी ही नहीं। यह बात तब गलत सबित हो गयी।

जब अमेरिका के एक सैटेलाइट ने एक तस्वीर भेजी। जिसमे साफ़ पता चल रहा था की पहले यहाँ कोई नदी थी। जो की अब धरती के नीचे दब गयी है। ये नदी जैसलमेर के पास से होकर गुजरती थी और शिमला तक फैली हुई थी।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 5 (वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की थी)


गोवा में एक जगह का नाम है वास्कोडिगामा। जो की वास्कोडिगामा की नाम पर पड़ा हुआ है। ये भी कहा जाता है की वास्कोडिगामा ने ही भारत की खोज की थी। जो की साफ साफ़ गलत है। क्या भारत कोई छोटी से चीज़ है जिसे वास्कोडिगामा ने खोज लिया है?


सच तो ये है की वास्कोडिगामा ऐसा पहला इंसान था जिसने यूरोप को भारत आने का समुद्र का रास्ता बताया था।


ये कहानी शुरू हुई तब। जब यूरोप के लोगो के मन में ख्याल आया की ये अरब देश वाले हमे मसाले तो देते हैं लेकिन ये इसको उगाते कहाँ हैं? वो ये बात अच्छी तरह समझ गए की अरब देश वाले उनसे कुछ छिपा रहे हैं।

उन्होंने इस बारे में पता करने का सोचा। लेकिन इस बात के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये थी की अरब देश वाले किसी और को उस रास्ते पर आने जाने नहीं देते थे। साथ ही साथ भारत देश तीन तरफ से समुद्र से घिरा था।

इसलिए यहाँ तक पहुचने के सिर्फ तीन रास्ते थे। एक था चीन होते हुए। जो की उस वक़्त के लिए बहुत ही लम्बा रास्ता था। दूसरा रास्ता था अरब से जिससे वो लोग किसी और को आने नहीं देते थे। और तीसरा रास्ता था समुद्र से। भारत के एक तरफ हिमालय भी था जिसको उस वक़्त पार कर पाना असंभव था।


यूरोप के लोगो ने ये बात सुन रखी थी। अरब के पास में कोई ऐसा देश हैं जो की काफी मसाले का उत्पादन करता है।

सबसे पहले कोलंबस भारत के लिए रास्ता खोजने निकले। लेकिन वो रास्ता भटक गए और अमेरिका पहुँच गए।

इस घटना के पांच साल बाद वास्कोडिगामा भारत के लिए रास्ता खोजने निकला और आकर कालीकट पहुंचा। इस तरीके से वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत आने के समुद्र के रास्ते की खोज की।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 6 (सिकंदर ने राजा पुरु ( पोरस ) को हरा दिया था)


ये बात सच है या झूठ अभी तक इस पर संदेह है। लेकिन हमे यही पढाया जाता है की सिकंदर ने राजा पुरु को हरा दिया था। इस बारे में एक बार फिर से अच्छे से छानबीन करनी चाहिए।


इतिहास में ऐसा लिखा गया ही की सिकंदर ने जब राजा पुरु को हरा दिया और उनको बंदी बना लिया, तो राजा पुरु को सिकंदर के सामने पेश किया गया।

सिकंदर ने पूछा की बताओ तुम्हारे साथ क्या व्यवहार किया जाये।तो राजा पुरु ने कहा की वैसा ही व्यवहार किया जाए जैसा एक राजा दूूूसरेे राजा के साथ करता है। सिकंदर ने ये सुना और राजा पुरु को मित्र बना लिए।


लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं। सिकंदर वही है, जिसने अपने पिता की मौत के बाद अपने सौतेले भाई और चचेरे भाई को सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि उसे लगता था की वो उसको मेसोडोनिया का राजा नहीं बनने देंगे।

आप इसी बात से समझ सकते हैं की वो कितना निर्दयी था। तो क्या वो राजा पुरु को जिंदा छोड़ देता? अगर वो जीत गया होता। ये बात तो एक मज़ाक ही लगती है।


(यूनान के लेखको ने राजा पुरु को पोरस के नाम से संबोधित किया है।)


यूनान के ही एक लेखक प्लूटार्क ने लिखा है की सिकंदर राजा पुरु के 20000 की सेना के सामने जब नहीं टिक पाया। तो आगे धनानंद की 350000 की सेना के सामने क्या करेगा?

इस बात से साफ़ पता चलता है की सिकंदर राजा पुरु से हार गया था । लेकिन यूनान के लेखको ने गलत लिखा और लोगो ने इस बात को आँखे बंद करके मान लिया।

साथ ही साथ ये कहावत भी बन गयी जो जीता वही सिकंदर। अगर लोगो ने भारत का सच्चा इतिहास पढ़ा होता तो शायद वो इस कहावत को कभी नहीं कहते।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 7 (मनुस्मृति और रामचरित्र मानस दलित विरोधी हैं)


भारत के साहित्य के स्तम्भ के रूप में जाने जाने वाले रामचरित्रमानस और मनुस्मृति को कहा जाता है की इसमें दलित लोगो को गुलाम बताया गया है। लेकिन असलियत ऐसा नहीं है। उसमे जितनी भी बातें लिखी हैं वो सब कर्मप्रधान हैं। यानी की जो जैसा कर्म करेगा उसको वही वर्ण मिल जाता है।

अगर किसी ब्राह्मण परिवार का लड़का है और वो सेवा करने लगता है तो वो शूद्र हो जाता है। अगर बात करें इनके दलित विरोधी होने की, तो खुद सोचिये वो लेख कैसे दलित विरोधी हो सकता है जिसको लिखने में दलित ने ही सहायता की हो?

ऐसी अफवाह सिर्फ इसलिए फैलाई गयी थी, ताकि सभी जाति वालो में एकता न हो और वो आपस में ही लड़ते रह जाएँ। लोगो को रामचरित्रमानस पर काफी विश्वास था। इसलिए अगर इसमें दलित विरोधी बात लिखी होने की अफवाह फैलाते तो लोगो का इस साहित्य से भरोसा भी उठ जाता।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 8 (भारत के इतिहास में छूआछूत था)


ऐसा कहा जाता है की पहले के ज़माने में भारत में छूआछूत था। जो की अगर सही इतिहास पढ़ें तो गलत साबित होती हुई दिखाई देती है।


पहले के ज़माने में भारत में इंसानों को चार वर्णों में बांटा गया था-

  1. ब्राहमण इनका काम था की ये लोगो को ज्ञान दें और भगवान की पूजा करें।
  2. क्षत्रिय इनका कार्य था युद्ध करना और बाकी के सभी लोगो की रक्षा करना।
  3. वैश्य इनका कार्य था व्यापार करना।
  4. शूद्र इनका कार्य था लोगो की सेवा करना।


कहा जाता है की ब्राह्मण लोग शूद्र और वैश्य लोगो से काफी भेदभाव करते थे। यहाँ तक उनका छूआ हुआ खाते तक नहीं थे। और उनको अपने घर या उसके आस पास भी नहीं आने देते थे।

लेकिन ये बात काफी झूठ साबित होती है। जब हम ये पढ़ते हैं की शूद्रो का काम सेवा करना था। तो खुद सोचिये की वो किसी को छूए या उनके पास गए कैसे सेवा कर सकते हैं?

और रही बात वैश्य लोगो की तो वो व्यापार करते थे। तो किसी को कुछ भी खरीदना होता था तो वो उन्ही के पास जाते रहे होंगे।

तो वो उनसे कैसे छूआ छुत कर सकते हैं? आप खुद इस बारे में सोचिये की क्या ये संभव है? अगर छूआछूत होता तो ब्राहमण लोग शूद्रो से अपना काम ही न कराते।

लेकिन श्रीमदभागवत गीता में साफ़ लिखा हुआ है की वर्णों का बंटवारा कर्मो के आधार पर किया गया था। यानि की जो भी सेवा करेगा वो शूद्र कहलायेगा। चाहे वो ब्राहमण परिवार से जुड़ा हुआ क्यों न हो।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 9 (यूनानियो का सेंद्रोकोत्ट्स ही चन्द्रगुप्त मौर्य था)


काफी यूनानी लेखको का कहना है की सिकंदर ने जब भारत पर आक्रमण किया था, तो वहां पर एक बहुत ही बहादुर और अच्छा व्यक्ति था। जिसका नाम था सेद्रोकोत्ट्स।

वही आगे चलकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। लेकिन ये बातें सिर्फ कल्पना ही लगती हैं। क्योंकि इनके पास इस बात का कोई सिद्ध प्रमाण नहीं है। जिससे पता चल सके की यूनानियों का सेंद्रोकोत्ट्स ही चन्द्रगुप्त मौर्य था।


चलिए अब चर्चा कर लेते हैं की जो बातें यूनानी चन्द्रगुप्त के बारे में कहते हैं क्या वो सत्य हैं या सिर्फ बातें हैं। जिससे आपको साफ़ पता चल जायेगा की उनकी बात में कितनी सच्चाई है।


1- यूनानियो ने बताया की सेंद्रोकोत्ट्स ६ लाख सैनिको के साथ भारत आया था। लेकिन भारत के इतिहास के हिसाब से चन्द्रगुप्त को इतने बड़े सैनिक टुकड़ी की ज़रुरत पड़ी ही नहीं थी।


2- यूनानियों के हिसाब से सेंद्रोकोत्ट्स का विवाह सेल्युकस की बेटी हेलेना से हुआ था। लेकिन भारतीय इतिहास के हिसाब से चंद्रगुप्त का विवाह किसी विदेशी लड़की से नहीं हुआ था।


एक और बात जो इस बात का मतभेद उत्पन्न करती है। वो ये की चन्द्रगुप्त हेलेना से उस वक़्त मिला जब सिकंदर ने हमला किया था। और सेल्युकस भारत में उसके 30 साल बाद (लगभग) आकर हारा था। यानी की उस वक़्त हेलेना की उम्र 50 वर्ष से ज्यादा की रही होगी। जो की शादी के लिए सही वक़्त नहीं होता।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 10 (भारतीयों को साहित्य का ज्ञान नहीं था)


वो कहते हैं न की एक झूठ को छिपाने के लिए हज़ार झूठ बोलने पड़ते हैं। यहाँ भी ऐसा कुछ था। राजाओ ने भारत के इतिहास के बारे में जब बातें झूठ कहीं, तो लोगो का सवाल था की भारत के इतिहास के लेख कहाँ हैं?

तो राजाओं ने उसे छुपा दिया। और कह दिया की भारतीयों को साहित्य का कोई ज्ञान था ही नहीं। और उन्होंने कुछ ख़ास इतिहास में लिखा है ही नहीं। क्योंकि अगर वो बात सामने आ जाती तो लोगो को सच्चाई का पता चल जाता। भारत के पहले के राजा कैसे थे।

इससे पहले ये जान लेना ज़रूरी है की पहले लोग साहित्य के माध्यम से ही उस वक़्त का विवरण देते थे या कुछ बताते थे। जबकि अगर भारत के साहित्य की बात करेें तो, भारत के साहित्य के मुख्य चरण- वैदिक साहित्य, ललित साहित्य, ज्योतिष शास्त्र और अर्थशास्त्र का ज्ञान भारत के साहित्य की ही देन है।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 11 (भारतीय लोग मुर्ख थे और उन्हें विज्ञान का ज्ञान नहीं था)


जब भारत के इतिहास के कुछ बातें सामने आने लगी। जिससे पता चलने लगा की भारत का पहले का इतिहास बहुत अच्छा था। तो उस वक़्त के राजा ने उन बातों को ये कहकर ख़त्म कर दिया की वो लोग क्या जाने की अच्छा क्या बुरा क्या। वो तो बेवकूफ थे। और तो और उन्हें विज्ञान का भी कोई ज्ञान नहीं था।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 12 (खर्वेला साम्राज्य की बात को छुपाना)


महामेघवाहन वंश के राजा खारवैल के बारे में शायद ही आप जानते हो। शायद ऐसा भी हो सकता है की आपने इस वंश के बारे में भी पहली बार पढ़ा हो।

इनकी राजधानी कलिंगनगर थी। और इन्होने आर्यवर्त पर विजय पाकर काफी समय तक राज किया। और तो और भारत को काफी समय तक बाहर के सभी आक्रमणों से सुरक्षित रखा था।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 13 (सिख साम्राज्य महान और वीर नहीं था)


सिख साम्राज्य के बारे भी इतिहास में बहुत कम सुनने को मिलता है।

यहाँ तक की इतिहासकारो ने महा प्रतापी राजा रणजीत सिंह और हरि सिंह नवला को भी इतिहास के पन्नो से हटा दिया।

सिखों का साम्राज्य पंजाब, कश्मीर, हरियाणा और हिमांचल प्रदेश में फैला हुआ था।
सिखों ने बहुत बार लोगो की रक्षा करते हुए मुगलों को अच्छे से धूल भी चटाई है।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 14 (भारत का विकास अंग्रेजो और मुगलों ने किया)


अंग्रेजो और मुगलों ने अपनी तारीफ़ इतिहास में लिखवाई। और वो भी इस तरह की जो भी किया उन्होंने ही किया। वही भगवान हैं।

लेकिन शायद उन्हें पता नहीं था की किसी न किसी दिन सच सामने आएगा ही। और आज सबको पता है की भारत का इतिहास कैसा था।यहाँ तक की भारत पहले सोने की चिड़िया कही जाती थी। ऐसे बेवजह तो सोने की चिड़िया नहीं कही जाती रही होगी?

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 15 (ताजमहल सच्चे प्रेम की निशानी है)

सच कहूँ तो ये एक मज़ाक लगता है। जब कोई कहता है की ताजमहल प्रेम की निशानी है। ( वैसे ये बात जान लेना ज़रूरी है की ताजमहल पहले एक मंदिर था। इस बात के अब कई प्रमाण मिल चुके हैं। )


अगर माने की ये मुमताज की याद दिलाता है और शाहजहाँ ने अपने प्रेम को दिखाने के लिए उन्हें इसमें दफनाया था। तो क्या वो सच्चा प्यार था? एक बार नीचे लिखी बातें पढ़िए और खुद सोच लीजिये।

  • शाहजहाँ की 7 बीवियां थीं जिनमे मुमताज चौथी थी।
  • मुमताज 14 वें बच्चे को जन्म देते हुए मर गयी थी।
  • मुमताज़ की मौत के बाद शाहजहाँ ने उसकी बहन से शादी कर ली थी।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 16 (महात्मा गांधी ने मरते वक़्त हे राम कहा था।)

इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं है। बल्कि ये सत्य है की उनका अंतिम शब्द था आह।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 17 (महाराणा प्रताप महान नहीं थे)


आज भी छोटे कक्षाओं की पुस्तकों में महाराणा प्रताप जी के बारे में मुश्किल से ही कुछ मिल पाता है। इन बातों से ये साफ़ पता चलता है की सत्ताधारी लोग ये बिलकुल नहीं चाहते थे की लोग इनकी महानता के बारे में जाने।

भारतीय इतिहास के झूठ नंबर 18 (भारत को आज़ादी कांग्रेस ने दिलाई)


भारत के इतिहास में हमेशा से ये कहा जाता है की भारत की आजादी मे कांग्रेस की मुख्य भूमिका है।लेकिन उन लोगो का क्या?

जिन लोगो ने अपनी जान दे दी। सुभाष चन्द्र बोस जी,.भगत सिंह जी और उनके साथी और कई लोग थे। जिन लोगो ने अपनी जान देकर आजादी दिलाई।

लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस के लोगो को सरकार बनने का मौका मिला। तो वो खुद मियां मिट्ठू बन गए और लोगो को आजादी की लडाई से गायब ही कर दिया।

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भारतीय इतिहास में झूठ कब लिखे गए

जब भारत देश में गुलामी का दाग लगा तो उस मैल को छुडाने में काफी वक़्त लगा। और उस वक़्त के बीच में ही उस गुलामी रुपी दाग ने भारत रुपी कोमल रेशम को ख़राब कर दिया। और उसने ऐसा किया भारतीय इतिहास में झूठ लिखकर।

भारत 1200 ई के आस पास गुलाम हुआ और तभी से लेकर 1947 तक भारत के इतिहास में झूठ लिखे गए।

भारतीय इतिहास में झूठ कहाँ लिखे गए

जैसा की हम जानते हैं की भारतीय इतिहास में झूठ उन्ही लोगो ने लिखवाया जिन लोगो ने भारत देश को गुलाम बनाया था। शुरू में जब मुगलों ने भारत को गुलाम बनाया था,.तो उनका राज मुख्य रूप से दिल्ली में था। इसलिए ज्यादातर झूठ यहीं पर लिखे गए।

भारतीय इतिहास में झूठ ज्यादातर दिल्ली के आस पास के लेखको ने धन के लालच में लिखा। जब अंग्रेजो का शासन आया तो उनका राज पूरे देश पर था, तो उस वक़्त भारतीय इतिहास को बदलने में पूरे देश के लेखको ने अंग्रेजो की सहायता की।

साथ ही साथ उस वक़्त जर्मन और इंग्लैंड के लेखको के बीच होड़ लगी हुई थी की कौन भारत के इतिहास को कितना गलत लिख सकता है। इसलिए भारतीय इतिहास में ज्यादातर झूठ जर्मनी और इंग्लैंड मे लिखे गए।

भारतीय इतिहास में झूठ कैसे लिखे गए

भारतीय इतिहास में झूठ धन के लालच में महान इतिहासकारों द्वारा लिखा गया। उसमे ज्यादातर भारत के ही थे और कुछ जर्मनी और ब्रिटेन के थे।

भारतीय इतिहास में झूठ लिखने के लिए अंग्रेजो और मुगलों ने भारत के ही लेखको का सहारा लिया। उन्हें धन का लालच देकर भारत के इतिहास को गलत तरीके से लिखने को कहा। आपने सुना ही होगा घर का भेदी लंका डाह।

भारत देश में भी ऐसा ही हुआ था। अगर भारत देश के लेखक गलत इतिहास नहीं लिखते तो कोई और इस काम को नहीं कर सकता था।

धन के लालच ने भारतीय लेखको को इतना अँधा कर दिया की उन्होंने खुद अपनी मौत लिख ली। जिन लोगो ने गलत लिखने से मना किया उन लोगो को डरा धमका कर झूठ लिखवाया गया।

भारतीय इतिहास में झूठ लिखने का क्या असर हुआ

आखिर हुआ वही जो लूटेरे चाहते थे। भारत के इतिहास की बातों को छिपाने की वजह से भारतीय अपने पराक्रम को भूल गए। और लूटेरो के गुलाम हो गए। इन्ही झूठो की वजह से ही उनका राज काफी समय तक चलता रहा।

धीरे धीरे लोग उस इतिहास को ही सच मानने लग गए जो झूठ था। वो सोचने लगे की इनके पहले के राजा लोगो ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। हमारा धर्म अच्छा नहीं है। जो भी किया है हमारे देश के लिए वो इन्ही लोगो ने किया है। यही हमारे लिए सब कुछ हैं। ये बहुत अच्छे हैं इनका धर्म ही अच्छा है।

इन्ही झूठो का असर ही था की भारत में काफी लोगो का धर्म परिवर्तन हुआ। क्योंकि वो अपने पराक्रम को भूल गए थे। और साथ ही साथ इनका अपने धर्म से विश्वास भी ख़त्म हो गया था।

आज की बात करें तो भी लोग अपनी पुरानी भारतीय संस्कृति को भूल चुके हैं। आज लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाने लगे हैं।

इसका सीधा सा मतलब है की उनको अपनी संस्कृति पसंद नहीं है या उनको अपनी संस्कृति पर भरोसा नहीं है। इसका सीधा सा कारण है की जो सच था उसको हटा दिया गया। और लोगो को भारतीय इतिहास का झूठ बताया गया है।

आज कल बच्चो को भी हमारे देश के इतिहास का सच नहीं बताया जाता है। उनकी किताबो में भी गलत ही लिखा हुआ है। जिसकी वजह से वो हमारी पुरानी संस्कृति को नहीं जान पा रहे हैं। और उनको लगता है की बाकी लोग हम लोगो से ज्यादा विकसित हैं।

और वो लोग उन लोगो की संस्कृति को अपनाना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से हमारे देश की संस्कृति ख़त्म होती जा रही है। और जिस दिन हमारे देश की संस्कृति ख़त्म हो गयी वो फिर से गुलाम हो जायेगा।

भारतीय इतिहास के झूठ को बदलने की ज़रुरत क्यों हैं

आज जब बच्चे थोड़े बड़े होते हैं तो वो इंग्लिश बोलना सीख जाते हैं। और समझते हैं की असली ज्ञान जो है वो इंग्लिश ही है। और इंग्लिश सीखने के साथ साथ वो उस संस्कृति को भी अपनाना शुरू कर देते हैं जो की इंग्लैंड की है।

शुरू शुरू में तो घर वालो को लगता है की बच्चा बहुत अच्छा ज्ञान ले रहा है। लेकिन जब वो बड़ा होता है और जब वो माता पिता को अपने घर से निकाल देता है, और उनके साथ गैरो सा व्यवहार करता है तब समझ में आता है की उसे भारत की संस्कृति देना चाहिए था।

an earth globe focused on India with a blurred world map background

ये तभी संभव है जब हम अपने सच्चे इतिहास को जाने। और जाने की वो कितना महान है। हमारी संस्कृति कितनी महान है।

अगर हम चाहते हैं की हमारा देश फिर से गुलाम न हो। हमे इन झूठे इतिहास की बातों को इतिहास से हटाना होगा। जो हमे बताते हैं कि हमारा इतिहास बेकार है। और यहाँ की संस्कृति पिछड़ी हुई है।

जब अंग्रेजो ने भारत को गुलाम बनाया था। तब उनका कहना था इनकी संस्कृति को अगर हमने नष्ट कर दिया तो ये हमेशा के लिए हमारे गुलाम हो जायेंगे।

लार्ड मैकाले ने लोगो को अंग्रेजी सिखाने पर जोर दिया क्योंकि उसे पता था की जो इस भाषा को जान लेगा वो हमारी संस्कृति को भी मानने लगेगा। और जिसको हमारी संस्कृति पसंद आएगी वो हमारे साथ हो जाएगा। और वो भारत देश पर राज करने में हमारी सहायता करेगा।

भारतीय इतिहास के झूठ पोस्ट आपको कैसा लगा comment करके बताएं।

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6 thoughts on “18 सबसे बड़े भारतीय इतिहास के झूठ : 16 वां झूठ कोई नहीं जानता”

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